Sunday, February 23, 2014

चुनावी परिदृश्य में तृणमूल कॉंग्रेस व ममता बनर्जी की स्थिति ---विजय राजबली माथुर


'रेखा जी' के अतिरिक्त एक और महिला( जिनसे वांम मोर्चा नफरत रख रहा है ) ममता बनर्जी का समय भी उनके अनुकूल चल रहा है। रण-नीति का तक़ाज़ा था कि 'गैर भाजापा' और 'गैर कांग्रेस'मोर्चे का नेता ममता जी को स्वीकार करके दोनों को परास्त किया जाता। किन्तु राजनीतिक लाभ को नहीं व्यक्तिगत द्वेष को वरीयता देने से हानि उठानी पड़ सकती है क्योंकि यहाँ भी हो सकता है कि कांग्रेस घोषित न सही तो अघोषित तालमेल ममता जी से बैठा कर लाभदायक स्थिति अपने लिए बना सकती है।



"अखबारी विश्लेषण से अलग मेरा विश्लेषण यह है कि जन्म के बाद ममता जी की 'चंद्र महादशा' 07 वर्ष 08 आठ माह एवं 07 दिन शेष बची थी। इसके अनुसार 03 जूलाई 2010 से वह 'शनि'महादशांतर्गत 'शुक्र' की अंतर्दशा मे 03 सितंबर 2013 तक चलेंगी। यह उनका श्रेष्ठत्तम समय है। इसी मे वह मुख्य मंत्री बनी हैं। 34 वर्ष के मजबूत बामपंथी शासन को उखाड़ने मे वह सफल रही हैं तो यह उनके अपने ग्रह-नक्षत्रों का ही स्पष्ट प्रभाव है।
इसके बाद पुनः 'सूर्य' की शनि मे अंतर्दशा 15 अगस्त 2014 तक उनके लिए अनुकूल रहने वाली है और लोकसभा के चुनाव इसी अवधि के मध्य होंगे। केंद्र (दशम भाव मे )'शनि' उनको 'शश योग' प्रदान कर रहा है जो 'राज योग'ही है।

हाल ही में ममता बनर्जी को अन्ना हज़ारे द्वारा व्यक्त समर्थन से बौखला कर कुछ वामपंथी चिंतकों ने उनको RSS/मोदी समर्थक घोषित कर दिया है जिसका जवाब ममता जी ने इस प्रकार दिया है:

:"ममता ने कहा,किसी भी हाल में मोदी को नहीं दूंगी समर्थन"

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता 


बनर्जी ने भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को समर्थन 

देने से साफ इनकार कर दिया है। ममता ने कहा कि भाजपा दंगे 

करवाकर सत्ता में आने वाली पार्टी है। एक समाचार पत्र को दिए 

साक्षात्कार में ममता ने कहा कि न भाजपा,कांग्रेस का विकल्प नहीं हो 

सकती और न ही कांग्रेस,भाजपा का विकल्प हो सकती है। हम न तो 

भ्रष्ट सरकार के साथ रह सकते हैं और न ही दंगे करवाने वाली पार्टी के 

साथ जा सकते हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस 

आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ी पार्टी के तौर 

पर उभरेगी।केन्द्र में अगले गठबंधन को आकार देने में तृणमूल कांग्रेस 

बड़ा फैक्टर हो सकती है। खुद के अगले प्रधानमंत्री बनने को लेकर भी 

ममता बनर्जी स्पष्ट नहीं है। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ने कहा कि कई 

नेता हैं जो देश के अच्छे नेता हो सकते हैं। लोकतंत्र और जनता ही तय 

करेगी कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। ममता ने कहा कि केन्द्र में 

अगली सरकार नया गठबंधन बना सकता है। बकौल ममता,मुझे 


लगता है कि अगर चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस की सीटों को जोड़कर 



देखेंगे तो आंकड़ा आधे से भी कम होगा। फेडरल फ्रंट ही भविष्य है।

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27 नवंबर 2012 को स्थगित रैली 16 फरवरी 2014 को लखनऊ में  आयोजित करवाकर ममता जी ने संकेत दे दिया है कि यदि मुलायम सिंह प्रकाश करात के फेर में फंसे रहे तो वह  उनके  सहयोग के बगैर ही फेडरल फ्रंट की दिशा में बढ़ सकती हैं।यदि उत्तर-प्रदेश में ममता जी ने मायावती जी से तालमेल बैठा लिया तो यहाँ भी उनको काफी मजबूती मिल जाएगी।  सी पी एम में भाजपा के भगौड़ों को शामिल किए जाने से उसके भविष्य की दिशा का खुलासा हो चुका है। इस सूरत में ममता बनर्जी के तर्क जनता को आसानी से ग्राह्य हो सकते हैं। सी पी एम की शुतुरमुरगी चालें वामपंथ को जोरदार झटका दे सकती हैं। तब 'पाछे पछताए होत क्या? जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत' । अभी भी बहुत समय है कि सी पी एम को छोड़ कर समस्त वामपंथ एकजुट होकर  ममता बनर्जी के नेतृत्व में भाजपा/कांग्रेस/आ आ पा  को संयुक्त रूप से चुनावों में परास्त कर सकता है। 

~विजय राजबली माथुर ©
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