Monday, December 4, 2017

परंपरागत गुजराती मतदाता भाजपा के विरोध की ओर क्यों ? ------ विजय राजबली माथुर






















 जिस प्रकार 1980 में इन्दिरा कांग्रेस और फिर 1984 में राजीव गांधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस को आर एस एस का पूर्ण समर्थन मिला था भाजपा के स्थान पर कुछ उसी प्रकार से गुजरात चुनावों में राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही कांग्रेस को पुनः आर एस एस का समर्थन मिलने जा रहा है। जिस प्रकार पी एम मोदी ने भाजपा को नियंत्रण में लेने के बाद आर एस एस को नियंत्रित करने का अभियान चला रखा है उससे आर एस एस नेतृत्व उनको कमजोर करने का मार्ग ढूंढ रहा था। यू एस ए के हितार्थ  लागू की गई नोटबंदी फिर गलत तरीके से लागू की गई जी एस टी पर जिस प्रकार आर एस एस व भाजपा नेता मोदी सरकार पर हमलावर हुये हैं और आर एस एस के आनुषंगिक संगठन  भामस द्वारा मोदी सरकार के विरुद्ध दिल्ली में प्रदर्शन किया गया है उससे ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। 

यदि गुजरात में मोदी - शाह की भाजपा परास्त होती है तो वह राहुल गांधी के चमत्कार या कांग्रेस के  बढ़ते प्रभाव का दिग्दर्शक न होकर आर एस एस की वह रणनीति होगी जिसके द्वारा वह सत्ता और विपक्ष दोनों को अपने नियंत्रण में लाकर भविष्य के लिए अपना मार्ग निष्कंटक बनाना चाहता है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो मेनका व वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल करवाकर मेनका गांधी को कांग्रेसी पी एम के रूप में  सुनिश्चित करना आर एस एस का लक्ष्य होगा। इस प्रकार देश को आगामी लोकसभा  चुनावों में मोदी से तो मुक्ति मिल जाएगी लेकिन आर एस एस का शिंकजा और मजबूत हो जाएगा।  
इस तथ्य  को हाल ही में सम्पन्न उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों  के रुझान से भी समझने में मदद मिलेगी। विधानसभा चुनावों के बाद यहाँ  पी एम और भाजपा अध्यक्ष की चाहत केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा जी को सी एम बनाने की थी यदि ऐसा हो जाता तो यह  जोड़ी आर एस एस  को झुकाने में कामयाब हो जाती । अतः आर एस एस ने पी एम की नापसंद के के योगी जी को सी एम बनवा दिया जिनको वर्तमान पी एम के विकल्प के रूप में मजबूती देने हेतु यहाँ भाजपा को आर एस एस का समर्थन प्राप्त हुआ है। 
लेकिन गुजरात में भाजपा का परंपरागत मतदाता भाजपा के विरोध की ओर झुका हुआ है और उसे आर एस एस का समर्थन प्राप्त है। हालांकि इसी वजह से भाजपा की गुप्त नीति के तहत अराजकता उत्पन्न कर भाजपा विरोधियों को मतदान से विरक्त करने की योजना बनी होगी। किन्तु सफलता उनको आर एस एस का समर्थन न मिलने से नहीं मिल पाएगी और तभी भाजपा की गुजरात में शिकस्त से आर एस एस पर आसन्न संकट से मुक्ति मिल सकेगी। 


 ~विजय राजबली माथुर ©

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